सिमरन थरथराते हाथों से कुएं से बाहर निकली। अब वो जान चुकी थी कि उसके परिवार में किसी ने किसी को मारा है।
वो हवेली के तहखाने की तरफ भागी —
जिसे 10 साल से कभी खोला नहीं गया था।
दरवाज़ा ज़ंग खा चुका था, लेकिन वो अंदर घुसी। दीवार के पीछे बने एक पत्थर के खांचे में उसे पुराना हैंडीकैम मिला।
बैटरी नहीं थी, लेकिन सिमरन तकनीक जानती थी — उसने कैमरा चार्ज किया, कार्ड निकाला और लैपटॉप में चलाया।
वीडियो शुरू हुआ — तारीख: 29 जुलाई 1999
वो फुटेज थी सतीश की, जो कह रहा था:
“मैं ये रिकॉर्ड कर रहा हूं क्योंकि मुझे लगता है कोई मुझे मारना चाहता है… नीलिमा (सिमरन की मां) ने मुझे बताया है कि हवेली में एक दरवाज़ा है जो कभी खुलता नहीं… और वहां से चीखें आती हैं…”
तभी कैमरे की दिशा घूमती है और एक और शख्स नजर आता है
नानी!!
"सतीश, अगर तुमने मुंह खोला तो तुम्हारा हाल वही होगा जो पिछले नौकर का हुआ था…"
और अगले पल… गोली की आवाज़!
कैमरा गिरता है। स्क्रीन ब्लैक।
सिमरन की आंखों से आंसू छलक पड़े।
"नानी ने सतीश को मारा था? क्यों?"
"क्या मां को ये सब पता था?"
और तभी… किसी ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा।
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