रात के 1:47 बजे। सिमरन की मोबाइल पर एक कॉल आया।स्क्रीन पर नाम था — “मम्मी कॉलिंग”
पर उसकी मां तो दो साल पहले ही इस दुनिया से जा चुकी थीं।
सिमरन का दिल एक पल को थम गया। उसने काँपते हाथों से फोन उठाया,
"ह..हैलो?"
कुछ सेकंड तक सिर्फ़ सन्नाटा… फिर एक जानी-पहचानी आवाज़ आई,
"सिमरन, मत जा उस घर में... वहाँ कोई तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है... मौत बनकर..."
और कॉल कट गई।
सिमरन बिस्तर से उछल कर बैठ गई। गला सूख गया था।
वो जानती थी, कि उसके फोन में ‘मम्मी’ का नंबर कभी सेव ही नहीं था।
ये कॉल कहाँ से आई थी? और किसने की थी?
🌕 अतीत की परछाइयाँ
सिमरन पिछले कुछ दिनों से परेशान थी। दिल्ली की अपनी फैशन डिजाइनिंग की नौकरी छोड़कर वह अपने ननिहाल, रामपुरा हवेली में कुछ दिन सुकून से बिताने आई थी।
रामपुरा हवेली... जहाँ बचपन की कई यादें थीं, लेकिन साथ ही कुछ डरावने पल भी।
नानी के गुज़रने के बाद ये हवेली 10 साल तक बंद रही। अब वो अकेली यहाँ थी — अपने अतीत और उस एक रात के रहस्य के साथ, जो किसी ने कभी बताया नहीं।
🕵️ हवेली में कुछ बदल गया है
सुबह उठते ही सिमरन ने अपने फोन का कॉल लॉग चेक किया —
"कोई कॉल लॉग नहीं था।"
लेकिन उसे यकीन था, कॉल आई थी।
वो हवेली के पुराने स्टोर रूम में गई, जहाँ नानी का ट्रंक रखा था।
ट्रंक में से कुछ ज़र्द दस्तावेज़, एक पुरानी डायरी और एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर मिली।
तस्वीर में तीन लोग थे: नानी, मम्मी… और तीसरा चेहरा… मिटाया हुआ था।
डायरी के पन्नों में लिखा था:
"28 जुलाई 1999 – सतीश फिर से आया था… मुझसे वादा लिया है कि सच्चाई सिमरन तक कभी नहीं पहुँचेगी। लेकिन कब तक छुपाएँगे हम ये भूत?"
सिमरन का सिर चकरा गया।
सतीश कौन था? और मम्मी की मौत के साथ इसका क्या संबंध था?
📞 फिर वही कॉल
रात को फिर से कॉल आया —
1:47 AM
इस बार बिना नाम के।
सिमरन ने डरते हुए उठाया।
"अगर सच्चाई जाननी है, तो हवेली के कुएं के नीचे देखो... जहाँ राज़ को दफ़न किया गया है..."
कॉल कट गया।
🪓 कहानी अब शुरू होती है...
सिमरन ने तय कर लिया था — अब वो पीछे नहीं हटेगी।
अगली सुबह वो सीधे हवेली के पिछवाड़े पहुँची। वहाँ एक पुराना कुआँ था — लकड़ी की सील लगी हुई, जिस पर जंग खाया ताला
था।
ताले को तोड़ते ही एक ज़ोरदार चीख हवेली में गूंजी...
और सिमरन बेहोश हो गई।
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