अंधेरी गली का रहस्य भाग 4: अंतिम टक्कर

स्टेशन पर घमासान मचा था। चारों ओर गोलियाँ चल रही थीं

कबीर चाचा ने अपने आदमियों को हुक्म दिया, "उस लड़की को जिंदा पकड़ो! डायरी चाहिए!"



रुचि ने एक छुपे हुए दरवाजे से अर्जुन के साथ निकलने की कोशिश की।

लेकिन कबीर ने रास्ता रोक लिया।


"क्या माँ की मौत के पीछे भी आप ही थे?" रुचि ने चिल्लाकर पूछा।


कबीर हँस पड़ा।

"हाँ। वो बहुत चतुर थी... पर मैं ज्यादा धैर्यवान।"


रुचि का गुस्सा फूट पड़ा।

"आज मैं आपकी धैर्य की परीक्षा लूँगी।"


अर्जुन ने रुचि को एक छोटा गैजेट पकड़ा दिया —

"यह EMP डिवाइस है, इससे उनके सारे हथियार फेल हो जाएंगे।"

रुचि ने बिना वक्त गँवाए उसे एक्टिवेट किया।

एक धमाके जैसी आवाज हुई — और कबीर के आदमियों के हथियार बेकार हो गए।


"अब भागो!" अर्जुन चिल्लाया।


वे दोनों दौड़ पड़े, लेकिन कबीर अब भी पीछा कर रहा था।

स्टेशन की पटरियों पर एक भयानक चेज़ शुरू हो गई।


अर्जुन ने रुचि को एक सिग्नल रूम की ओर धकेला।

"वहाँ से हम ट्रैक को ब्लॉक कर सकते हैं!"


रुचि ने फुर्ती से लीवर खींचा — और अचानक एक पुराना ट्रेन इंजन बीच में आ गया, जिससे कबीर और उसके आदमियों का रास्ता बंद हो गया।


कबीर चीखा, "तुम बच नहीं सकती रुचि!"


रुचि ने पलटकर देखा, आँखों में आँसू और आग दोनों थे।

"अब मैं सिर्फ बचने के लिए नहीं लड़ रही... अब मैं माँ के लिए लड़ रही हूँ।"


सुबह की पहली किरण फूट रही थी।

रुचि ने डायरी को उठाया और अर्जुन के साथ स्टेशन से बाहर निकली।

"अब आगे क्या?" अर्जुन ने पूछा।


रुचि मुस्कुराई,

"अब दुनिया को माँ की सच्चाई बतानी होगी। और ब्लैक हॉक को खत्म करना होगा।"

अर्जुन ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया।

"तुम अकेली नहीं हो।"

रुचि ने उसका हाथ थाम लिया।

सड़क पर सूरज की रोशनी फैल रही थी, जैसे अंधेरी गली का रहस्य अब उजाले में बदल चुका था।

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